अक्षय तृतीया के अवसर पर मंगलवार को मैदागिन स्थित बिहारीलाल जैन मंदिर में प्रथम तीर्थन्कर भगवान ऋषभदेव का फलों के रस से अभिषेक हुआ.

varanasi ;- इस मौके पर सर्वान्गभूषण आचार्य 108 श्री  चैत्यसागर जी महाराज व उनके संघ ने कहा कि अक्षय तृतीया का पर्व आहार दान पर्व  के रूप मे प्रत्येक जैन को मनाना चाहिये. उन्होने कहा कि अक्षय तर्तीया एक जैन पर्व है,

अक्षय तृतीया के अवसर पर मंगलवार को मैदागिन स्थित बिहारीलाल जैन मंदिर में प्रथम तीर्थन्कर भगवान ऋषभदेव का फलों के रस से अभिषेक हुआ.

varanasi ;- इस मौके पर सर्वान्गभूषण आचार्य 108 श्री  चैत्यसागर जी महाराज व उनके संघ ने कहा कि अक्षय तृतीया का पर्व आहार दान पर्व  के रूप मे प्रत्येक जैन को मनाना चाहिये. उन्होने कहा कि अक्षय तर्तीया एक जैन पर्व है, प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जब मुनी रूप मे चौदह वर्ष की कठिन तपस्या के बाद आहार के लिये उठे तो किसी को मुनिराज को आहारदान की नवधा भक्ती विधी का ज्ञान ही नहीं था, रोज वह आहार के लिये उठते लेकिन पडगाहन विधी के न जानने के अभाव में, वे वसतिका मे निराहार वापस आ जाते. यह क्रम लगभग एक वर्ष चला, फिर हस्तिनापुर के राजा श्रेर्यांस को पूर्व भव का स्मरण आने पर बैसाख शुक्ला तीज के दिन उन्होने और उनके भाई राजा सोम ने मुनि ऋषभदेव का इक्षुरस से पारणा कराते हुये प्रथम आहार दान देने का सौभाग्य प्राप्त किया, तभी से यह तिथी अक्षय बनी और अक्षय तृतीय कहलाने लगी. जिसे हमआहार दान पर्व के रुप में  मनाते है. 

इस अवसर पर जैन बंधुओं द्वारा विशेष पूजन एवं इच्छु रस सहित तमाम फलों के रस से भगवान ऋषभदेव जी का सविधि अभिषेक किया है. इस मौके पर मंदिर के ट्रस्टी भूपेंद्र कुमार जैन, अनिल कुमार जैन, नेमचंद्र जैन, विजय कुमार जैन, प्रदीप चन्द्र जैन, विनोद कुमार जैन, सीए अभिषेक जैन, आशीष जैन, मंजू जैन, रेनू जैन, साधना जैन,  रजनी जैन आदि मौजूद रही. 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow